
ठंडी हवा के झोंके
चलते हैं हल्के हल्के
कुदरत ने जो दिया है,
नियामत है हम सबको,
ठंडी हवा के झोंके ——-
ये चांद ये सितारे
ये नीले गगन में चमकते सूरज
की धूप जीवन हमारा सँवारे,
सब कुछ दिया है कुदरत ने,
फिर भी हम कैसे बेसहारे,
सब कुछ इस धरती का तो,
हमको कौन रोके
ठंडी हवा के झोंके ———
ये लहराती पेड़ों की डालियाँ ,
पहाड़ों पर बिछी सफेद चादर,
ये खूबसूरत वादियां गूंजती संगीत
लहरी ये मदमस्त पवन के झोंके,
सब कुछ हमें कुदरत ने दिया है
फिर क्यों हम हैं रोते ।
ठंडी हवा के झोंके
चलते हैं हल्के हल्के ।।
…lovely poem…
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Thanks.
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Such a beautiful poem 🙂
Perfect view of nature in such nice words 🙂
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Thanks for appreciation.
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