बदलने की जब से हमने कसम खाई है एक घबराहट सी हमारे अपनों में भी छाई है जब तक सबकी सुनता रहा चुपचाप जवाब किसी को दिया नहीं आज अब जब बोला तो एक घटा सी उमड़ आई है, बदलने की जब से कसम खाई है । लोग अच्छे कहते हैं तब तक जब तकContinue reading “चुपचाप”
बदलने की जब से हमने कसम खाई है एक घबराहट सी हमारे अपनों में भी छाई है जब तक सबकी सुनता रहा चुपचाप जवाब किसी को दिया नहीं आज अब जब बोला तो एक घटा सी उमड़ आई है, बदलने की जब से कसम खाई है । लोग अच्छे कहते हैं तब तक जब तकContinue reading “चुपचाप”