
बदलने की जब से हमने कसम खाई है
एक घबराहट सी हमारे अपनों में भी छाई है
जब तक सबकी सुनता रहा चुपचाप
जवाब किसी को दिया नहीं आज
अब जब बोला तो एक घटा सी उमड़
आई है,
बदलने की जब से कसम खाई है ।
लोग अच्छे कहते हैं तब तक जब तक
चुपचाप सुनते हैं,
जब प्रतिकार का आगाज होता है
बोलने वाला भी चुप हो जाता है,
सदियों से यही रीत चली आई है,
सुनने वालों की सदा जग हंसाई है ।।